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फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon)

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Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon
Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon

नाम:- फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon)

Father’s Name :- S. Tarlok Singh

Mother’s Name :- Smt Harbans Kaur

Domicile :- Ludhiana, Punjab

जन्म:- 17 जुलाई 1943

जन्म भूमि :- रूरका गाँव, लुधियाना, पंजाब ब्रिटिश भारत (वर्तमान पंजाब, भारत)

शहादत :- 14 दिसम्बर 1971 (आयु- 26)

शहादत स्थान :- श्रीनगर, जम्मू और कश्मीर, भारत

सेवा/शाखा :- भारतीय वायु सेना

सेवा वर्ष :- 1967-1971

रैंक (उपाधि) :- फ्लाइंग ऑफिसर

सेवा संख्यांक(Service No.) :- 10877

यूनिट :- 32px 18वीं स्क्वाड्रन

युद्ध/झड़पें :- भारत-पाकिस्तान युद्ध 1971

सम्मान :-  परम वीर चक्र (1972)

नागरिकता :- भारतीय

अन्य जानकारी :- निर्मलजीत सिंह सेखों, भारतीय वायु सेना से परमवीर चक्र के एकमात्र विजेता हैं जिन्होंने 1971 में पाकिस्तान के विरुद्ध लड़ते हुए उस युद्ध में वीरगति पाई जिसमें भारत विजयी हुआ।

जीवन परिचय

फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon) का जन्म 17 जुलाई 1947 को रूरका गाँव, लुधियाना, पंजाब में हुआ था। फौज में आने वाले अपने परिवार से वह अकेले नहीं थे बल्कि इस क्रम में वह दूसरे नम्बर पर थे। बस कुछ ही महीने पहले उनका विवाह हुआ था और उसमें भी निर्मलजीत सिंह ने पत्नी मंजीत के साथ बहुत थोड़ा सा समय बिताया था। नए जीवन के कितने की सपने उनकी आँखों में रहे होंगे, जो देश की माँग के आगे छोटे पड़ गए। उन्हें उस निर्णायक पल में सिर्फ अपना नेट विमान सूझा और दुश्मन के F-86 सेबर जेट, जिन्हें निर्मलजीत सिंह को मार गिराना था।

भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)

मुख्य लेख : भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)

पाकिस्तान का भारत के साथ यह 1971 में लड़ा गया युद्ध किन्हीं अर्थों में ख़ास कहा जा सकता है। इस युद्ध की शुरुआत दरअसल पाकिस्तान की आंतरिक समस्या से हुई थी। पाकिस्तान का एक हिस्सा पूर्वी पाकिस्तान बांग्ला भाषी क्षेत्र था, जो भारत के विभाजन के बाद पूर्वी बंगाल से पूर्वी पाकिस्तान हो गया था। पाकिस्तान की सत्ता का केन्द्र पश्चिम पाकिस्तान था जो एक मुस्लिम बहुत क्षेत्र है। ऐसे में पश्चिमी पाकिस्तान का व्यवहार कभी भी पूर्वी पाक के साथ न्याय पूर्ण नहीं रहा।

ऐसे में पूर्वी हिस्से में असंतोष बढ़ना स्वाभाविक था। 7 दिसम्बर 1970 को पाकिस्तान के चुनावों में पूर्वी पाकस्तान के आवामी लीग पार्टी के नेता शेख मुजीबुर्रमहान के पक्ष में भारी जनमत गया और सत्ता इसी दल के हाथ आने के परिणाम घोषित हुए। पश्चिमी पाकिस्तान को यह मंजूर नहीं हुआ। तात्कालीन प्रधानमंत्री भुट्टो और राष्ट्रपति याहया खान ने तय कर लिया कि पूर्वी पाकिस्तान की बांग्ला भाषी सरकार कभी नहीं बनने दी जाएगी।

उनकी ओर से संसद का गठन रोक दिया गया। इससे पूर्वी पाकिस्तान में जबरदस्त असंतोष फैला और जनता सड़क पर आ गई। एक जन आन्दोलन का रूप सामने आने लगा। इसमें सरकारी तथा गैर सरकारी सबका साथ था, यहाँ तक कि छात्र भी पीछे नहीं रहे। 3 मार्च 1971 को ढाका में कर्फ्यू लगा दिया गया और पश्चिमी पाकिस्तान ने जबरदस्त दमन चक्र चला दिया।

बर्बर फौजी लेफ्टिनेंट टिक्का खान लग गए, जिन्हें बांग्ला भाषियों का बूचर कहा जाता था, उसने वहाँ पूर्वी पाकिस्तान में इतना कहर मचाया कि लाखों की तादाद में बांग्ला भाषी पूर्वी पाकिस्तान के लोग जान बचाते हुए भारत की ओर भागे। देखते-देखते पूर्वी पाकिस्तान के लाखों बांग्ला भाषी लोभ भारत में भर गए।

भारत के सामने समस्या उपस्थित हो गई। पश्चिमी पाकिस्तान की सत्ता ने इसे अपनी समस्या मानने से ही इंकार कर दिया। ऐसे में भारत के लिए यह ज़रूरी था कि वह सीधे हस्तक्षेप से पूर्वी पाकिस्तान में शांति तथा सुरक्षा का वातावरण वहा के नागरिकों के लिए बनाए जिससे वहाँ के शरणार्थी भारत की ओर न भागें। पूर्वी पाकिस्तान से लाखों शरणार्थी का भारत की ओर भागना, भारत के लिए एक बड़ी विपदा जैसा प्रश्न बन गया था।

भारत का यह रुख भी पाकिस्तान को नहीं भाया। भारत, जब अपनी सेना लेकर पूर्वी पाकिस्तान पहुँचा तो पाकिस्तान ने इसे उसकी ओर से आक्रमण करने की एक वजह मान लिया। इस तरह 3 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर बकायदा सैन्य आक्रमण कर दिया। इसका नुकसान उसे भुगतना पड़ा। इस युद्ध में भारत सरकार ने फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह सेखों (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon) के साथ तीन और पराक्रमी योद्धाओं को परमवीर चक्र प्रदान दिया। लेकिन वायु सेना, के किसी भी युद्ध में परमवीर चक्र पाने वाले सेनानियों में, केवल निर्मलजीत सिंह सेखों का नाम लिखा गया।

शौर्य गाथा

14 दिसम्बर 1971 को श्रीनगर एयरफील्ड पर पाकिस्तान के छह सैबर जेट विमानों ने हमला किया था। सुरक्षा टुकड़ी की कमान संभालते हुए फ़्लाइंग ऑफ़िसर निर्मलजीत सिंह (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon) वहाँ पर 18 नेट स्क्वाड्रन के साथ तैनात थे। दुश्मन F-86 सेबर जेट वेमानों के साथ आया था। उस समय निर्मलजीत के साथ फ्लाइंग लैफ्टिनेंट घुम्मन भी कमर कस कर मौजूद थे। एयरफील्ड में एकदम सवेरे काफ़ी धुँध थी। सुबह 8 बजकर 2 मिनट पर चेतावनी मिली थी कि दुश्मन आक्रमण पर है।

निर्मलसिंह तथा घुम्मन ने तुरंत अपने उड़ जाने का संकेत दिया और उत्तर की प्रतीक्षा में दस सेकेण्ड के बाद बिना उत्तर उड़ जाने का निर्णय लिया। ठीक 8 बजकर 4 मीनट पर दोनों वायु सेना-अधिकारी दुश्मन का सामना करने के लिए आसमान में थे। उस समय दुश्मन का पहला F-86 सेबर जेट एयर फील्ड पर गोता लगाने की तैयारी कर रहा था। एयर फील्ड से पहले घुम्मन के जहाज ने रन वे छोड़ा था। उसके बाद जैसे ही निर्मलजीत सिंह का नेट उड़ा, रन वे पर उनके ठीक पीछे एक बम आकर गिरा। घुम्मन उस समय खुद एक सेबर जेट का पीछा कर रहे थे।

सेखों ने हवा में आकार दो सेबर जेट विमानों का सामना किया, इनमें से एक जहाज वही था, जिसने एयरफिल्ट पर बम गिराया था। बम गिरने के बाद एयर फील्ड से कॉम्बैट एयर पेट्रोल का सम्पर्क सेखों तथा घुम्मन से टूट गया था। सारी एयरफिल्ड धुएँ और धूल से भर गई थी, जो उस बम विस्फोट का परिणाम थी।

इस सबके कारण दूर तक देख पाना कठिन था। तभी फ्लाइट कमाण्डर स्क्वाड्रन लीडर पठानिया को नजर आया कि कोई दो हवाई जहाज मुठभेड़ की तौयारी में हैं। घुम्मन ने भी इस बात की कोशिश की, कि वह निर्मलजीत सिंह (Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon) की मदद के लिए वहाँ पहुँच सकें लेकिन यह सम्भव नहीं हो सका। तभी रेडियो संचार व्यवस्था से निर्मलजीत सिंह की आवाज़ सुनाई पड़ी…

‘मैं दो सेबर जेट जहाजों के पीछे हूँ…मैं उन्हें जाने नहीं दूँगा…’

उसके कुछ ही क्षण बाद नेट से आक्रमण की आवाज़ आसपान में गूँजी और एक सेबर जेट आग में जलता हुआ गिरता नजर आया। तभी निर्मलजीत सिंह सेखों ने अपना सन्देश प्रसारित किया…

‘मैं मुकाबले पर हूँ और मुझे मजा आ रहा है। मेरे इर्द-गिर्द दुश्मन के दो सेबर जेट हैं। मैं एक का ही पीछा कर रहा हूँ, दूसरा मेरे साथ-साथ चल रहा है।’

इस सन्देश के जवाब में स्क्वेड्रन लीडर पठानिया ने निर्मलजित सिंह को कुछ सुरक्षा सम्बन्धी हिदायत दी, जिसे उन्होंने पहले ही पूरा कर लिया था। इसके बाद नेट से एक और धमाका हुआ जिसके साथ दुश्मन के सेबर जेट के ध्वस्त होने की आवाज़ भी आई। अभी निर्मलजीत सिंह को कुछ और भी करना बाकी था, उनका निशाना फिर लगा और एक बड़े धमाके के साथ दूसरा सेबर जेट भी ढेर हो गया। कुछ देर की शांति के बाद फ्लाइंग ऑफिसर निर्मलजीत सिंह सेखों का सन्देश फिर सुना गया। उन्होंने कहा-

‘शायद मेरा नेट भी निशाने पर आ गया है… घुम्मन, अब तुम मोर्चा संभालो।’

.यह निर्मलजीत सिंह का अंतिम सन्देश था। अपना काम पूरा करके वह वीरगति को प्राप्त हो गए।

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Flying Officer Nirmal Jit Singh Sekhon
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