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नाम:- लांस नायक अल्बर्ट एक्का (Lance Naik Albert Ekka)
Father’s Name :- ZULUIS EKKA
Mother’s Name :- MARIAM TIRKEY
Domicile :- GUMLA, JHARKHAND
जन्म:- 27 दिसम्बर 1942
जन्म भूमि :- जरी गांव, गुमला ज़िला, झारखंड (तत्कालीन बिहार)
शहादत :- 3 दिसम्बर 1971 (आयु 28)
शहादत स्थान :- गंगासागर, बांग्लादेश (पश्चिम बंगाल)
सेवा/शाखा :- भारतीय थल सेना
सेवा वर्ष :- 1962-1971
रैंक (उपाधि) :- लांस नायक
सेवा संख्यांक(Service No.) :- 4239746
यूनिट :- गार्ड्स (GUARDS)
युद्ध/झड़पें :- हिली का युद्ध, भारत-पाकिस्तान युद्ध 1947
सम्मान :- परम वीर चक्र (1972-Republic Day)
नागरिकता :- भारतीय
अन्य जानकारी :- एल्बर्ट एक अच्छे योद्धा तो थे ही, यह हॉकी के भी अच्छे खिलाड़ी थे। इनके अनुशासन का ही प्रभाव था कि ट्रेनिंग के ही दौरान एल्बर्ट एक्का (Lance Naik Albert Ekka) को लांस नायक बना दिया गया था।
जीवन परिचय
अलबर्ट एक्का (Lance Naik Albert Ekka) का जन्म 27 दिसम्बर, 1942 को झारखंड के गुमला जिला के डुमरी ब्लाक के जरी गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माँ का नाम मरियम एक्का था। उन्होंने प्रारंभिक शिक्षा सी. सी. स्कूल पटराटोली से की थी और माध्यमिक परीक्षा भिखमपुर मिडल स्कूल से पास की थी। इनका जन्म स्थल जरी गांव चैनपुर तहसील में पड़ने वाला एक आदिवासी क्षेत्र है जो झारखण्ड राज्य का हिस्सा है।
एल्बर्ट की दिली इच्छा फौज में जाने की थी, जो दिसंबर 1962 को पूरी हुई। उन्होंने फौज में बिहार रेजिमेंट से अपना कार्य शुरू किया। बाद में जब 14 गार्ड्स का गठन हुआ, तब एल्बर्ट अपने कुछ साथियों के साथ वहाँ स्थानांतरित कर किए गए। एल्बर्ट एक अच्छे योद्धा तो थे ही, यह हॉकी के भी अच्छे खिलाड़ी थे। इनके अनुशासन का ही प्रभाव था कि ट्रेनिंग के ही दौरान एल्बर्ट एक्का (Lance Naik Albert Ekka) को लांस नायक बना दिया गया था।
भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)
मुख्य लेख : भारत-पाकिस्तान युद्ध (1971)
पाकिस्तान की यह 1971 की लड़ाई, जिसमें पाकिस्तान ने अपना पूर्वी हिस्सा गँवाया, पाकिस्तान की आंतरिक समस्या का नतीजा थी। भारत के विभाजन से बंगाल का पूर्वी हिस्सा पाकिस्तान में चला गया था जो पूर्वी पाकिस्तान कहलाता था। पूर्वी पाकिस्तान, जाहिर है बांग्ला बहुत क्षेत्र था, जबकि पाकिस्तान में मुस्लिम बहुत उर्दू भाषी सत्तारूढ़ थे। और उनकी सत्ता का केन्द्र पश्चिमी पाकिस्तान में था।
इस स्थिति के कारण पूर्वी पाकिस्तान सत्ता की ओर से अमानवीय और पक्षपात पूर्व व्यवहार का शिकार हो रहा है। ऐसी परिस्थिति में जब 7 दिसम्बर 1970 के चुनावों में पूर्वी पाकिस्तान की पार्टी अवामी लीग के नेता शेख नुजीबुर्रहमान को भारी बहुमन मिला तो पश्चिम की सत्ता हिल गई। तत्कालीन प्रधानमंत्री भुट्टो और याहया खान इस नतीजे के लिए कतई तैयार नहीं थे।
इन्होंने संसद का गठन रोककर अपना स्पष्ट इरादा जाहिर कर दिया कि वह इस चुनाव परिणाम को मान्यता नहीं देने वाले हैं। पूर्वी पाकिस्तान के लिए असहनीय था। वहाँ इस बात को लेकर इन्होंने संसद का गठन रोककर अपना स्पष्ट इरादा जाहिर कर दिया कि वह इस चुनाव परिणाम को मान्यता नहीं देने वाले हैं।
पूर्वी पाकिस्तान के लिए असहनीय था। वहाँ इस बात को लेकर आंदोलन छिड़ गया जिसमें छात्र, नागरिक तथा सभी सरकारी, गैर सरकारी विभाग आकर जुड़ गए। यह आंदोलन पश्चिमी पाकिस्तान के लिए चुनौती बन गया। भुट्टो और याहया खान ने इसे दबाने के लिए जबरदस्त दमन चक्र चलाया जिसका नायक टिक्का खान को बनाया गया। लेफ्टिनेंट जनरल टिक्का खान की छवि एक बर्बर फौजी की थी, जिसने पूर्वी क्षेत्र के नागरिकों पर इतनी अमानवीय और निर्मम कार्यवाही की, कि वह सारे वहाँ से भागकर भारत आ पहुँचे। देखते देखते भारत में लाखों की तादाद में बांग्ला भाषी, पूर्वी पाकिस्तानी भर गए, जिनकी व्यवस्था करना भारत के लिए भारी पड़ने लगा।
भारत ने पाकिस्तान से इस बारे में बात की लेकिन पाकिस्तान ने अपना हाथ झाड़ लिया। उसने कहा कि शरणार्थियों ने निपटना भारत की अपनी समस्या है। फिर तो भारत को युद्ध में उतरना ही था। 3 दिसम्बर 1971 को युद्ध की स्थिति बनी और 17 दिसम्बर 1971 को पाकिस्तान ने पराजय का मुँह देखा और वह टूट कर दो हिस्से हो गया जिसमें एक नवोदित राष्ट्र बांग्लादेश कहलाया। इस युद्ध में जिन वीरों का विशेष योगदान है, उनमें लांस नायक एल्बर्ट एक्का (Lance Naik Albert Ekka) का नाम भी सम्मान पूर्वक दर्ज है।
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