Type Here to Get Search Results !

ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav)

0

विषय सूची

Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav

नाम:- ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav)

Father’s Name :- श्री करन सिंह यादव (भूतपूर्व सैनिक)

Mother’s Name :- NA

Domicile :- NA

जन्म:- 10 मई 1980

जन्म भूमि :- औरंगाबाद अहीर गांव, बुलंदशहर, उत्तर प्रदेश

शहादत :-

शहादत स्थान :-

सेवा/शाखा :- भारतीय थल सेना

सेवा वर्ष :-

रैंक (उपाधि) :- ग्रेनेडियर बाद में सूबेदार मेजर

सेवा संख्यांक(Service No.) :- 2690572

यूनिट :- 18 ग्रेनेडियर्स

युद्ध/झड़पें :- कारगिल युद्ध (ऑपेरशन विजय)

सम्मान :-  परम वीर चक्र (1999- Independence Day)

नागरिकता :- भारतीय

अन्य जानकारी :- योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) जब भारतीय सेना में नियुक्त हुए तब उनकी उम्र केवल 16 वर्ष पाँच महीने की थी। 19 वर्ष की आयु में वह परमवीर चक्र विजेता बन गए।

जीवन परिचय

सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर जनपद के औरंगाबाद अहीर गांव में 10 मई, 1980 को हुआ था। 27 दिसंबर, 1996 को सेना की 18 ग्रेनेडियर बटालियन में भर्ती हुए योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) की पारिवारिक पृष्ठभूमि भी सेना की ही रही है, जिसके चलते वो इस ओर तत्पर हुए।

भारत-पाकिस्तान युद्ध (1999)

मुख्य लेख : कारगिल युद्ध

मई-जुलाई 1999 में हुई भारत और पाकिस्तान की कारगिल की लड़ाई वैसे तो हमेशा की तरह, भारत की विजय के साथ खत्म हुई, लेकिन उसे बहुत अर्थों में एक विशिष्ट युद्ध कहा जा सकता है। एक तो यह कि, यह लड़ाई पाकिस्तान की कुटिल छवि को एक बार फिर सामने लाने वाली कही जा सकती है।

पाकिस्तान इस लड़ाई की योजना के साथ कई वर्षों से जाँच परख भरी तैयारी कर रहा था, भले ही ऊपरी तौर पर वह खुद को शांति वाहक बताने से भी चूक नहीं रहा था। दूसरी ओर, यह लड़ाई बेहद कठिन मोर्चे पर लड़ी गई थी। तंग संकरी पगडंडी जैसे पथरीले रास्ते, और बर्फ से ढकी पहाड़ की चोटियाँ। यह ऐसे माहौल की लड़ाई थी, जिसकी हमारे सैनिक सामान्यतः उम्मीद नहीं कर सकते थे, दूसरी तरफ, पाकिस्तान के सैनिकों को इस दुश्वार जगह युद्ध का अध्यान न जाने कब से दिलाया जा रहा था।

इस युद्ध में भारत के चार योद्धाओं को परमवीर चक्र दिए गए, जिनमें से दो योद्धा इसे पाने से पहले ही वीरगति को प्राप्त हो गए। सम्मान सहित स्वयं उपस्थित होकर जिन दो बहादुरों नें यह परमवीर चक्र पाया, उनमें से एक थे ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव(Subedar Major Yogendra Singh Yadav), जो 18 ग्रेनेडियर्स में नियुक्त थे। इनके पिता करन सिंह यादव भी भूतपूर्व सैनिक थे वह कुमायूँ रेजिमेंट से जुड़े हुए थे और 1965 तथा 1971 की लड़ाइयों में हिस्सा लिया था।

पिता के इस पराक्रम के कारण योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) तथा उनके बड़े भाई जितेन्द्र दोनों फौज में जाने को लालायित थे। दोनों के अरमान पूरे हुए। बड़े भाई जितेन्द्र सिंह यादव आर्टिलरी कमान में गए और योगेन्द्र सिंह यादव ग्रेनेडियर बन गए। योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) जब सेना में नियुक्त हुए तब उनकी उम्र केवल 16 वर्ष पाँच महीने की थी। 19 वर्ष की आयु में वह परमवीर चक्र विजेता बन गए। उन्होंने यह पराक्रम कारगिल की लड़ाई में टाइगर हिल के मोर्चे पर दिखाया।

कारगिल की लड़ाई में पाकिस्तान का मंसूबा कश्मीर को लद्दाख से काट देने का था, जिसमें वह श्रीनगर-लेह मार्ग को बाधित करके कारगिल को एकदम अलग-थलग कर देना चाहते थे, ताकि भारत का सियाचिन से सम्पर्क मार्ग टूट जाए इस तरह पाकिस्तान का यह मंसूबा भी कश्मीर पर ही दांव लगाने के लिए था। टाइगर हिल इसी पर्वत श्रेणी का एक हिस्सा था।

द्रास क्षेत्र में स्थित टाइगर हिल का महत्व इस दृष्टि से था कि यहाँ से राष्ट्रीय राजमार्ग 1A पर नियंत्रण रखा जा सकता था। इस राज मार्ग पर अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए पाकिस्तानी फौजी ने अपनी जड़ें मजबूती से जमा रखी थीं और उनका वहाँ हथियारों और गोलाबारूद का काफ़ी जखीरा पहुँचा हुआ था।

भारत के लिए इस ठिकाने से दुश्मन को हटाना बहुत ज़रूरी था। टाइगर हिल को उत्तरी, दक्षिणी तथा पूर्वी दिशाओं से भारत की 8 सिख रेजिमेंट ने पहले ही अलग कर लिया था और उसका यह काम 21 मई को ही पूरा हो चुका था। पश्चिम दिशा से ऐसा करना दो कारणों से नहीं हुआ था। पहला तो यह, कि वह हिस्सा नियंत्रण रेखा के उस पार पड़ता था, जिसे पार करना भारतीय सेना के लिए शिमला समझौते के अनुसार प्रतिबन्धित था, लेकिन पाकिस्तान ने उस समझौते का उलंघन कर लिया था दूसरा कारण यह था कि अब पूरी रिज पर दुश्मन घात लगा कर बैठ चुका था। ऐसी हालत में भारत के पास आक्रमण ही सिर्फ एक रास्ता बचा था।

टाइगर हिल पर तिरंगा

3-4 जुलाई 1999 की रात को 18 ग्रेनेडियर्स को यह जिम्मा सौंपा गया कि वह पूरब की तरफ से टाइगर हिल को कब्जे में करें। उसके लिए वह 8 सिख बटालियन को साथ ले लें। इसी तरह 8 सिह बटालियन को भी यय जिम्मा सौंपा गया कि वह हमले का दवाब दक्षिण तथा उत्तर से बनाए रखें और इस तरह टाइगर हिल को पश्चिम की तरफ से अलग-थलग कर दें। रात साढ़े 8 बजे टाइगर हिल पर आक्रमण का सिलसिला शुरू किया गया।

4 जुलाई 1999 को आधी रात के बाद डेढ़ बजे 18 ग्रेनेडियर्स ने टाइगर हिल के एक हिस्से पर अपना कब्जा जमा लिया। इसी तरह सुबह 4.00 बजे तक 8 सिख बटालियन ने भी अपने हमलों का दबाव बनाते हुए पश्चिमी छोर से टाइगर हिल के महत्त्वपूर्ण ठिकाने अपने काबू में कर लिए और 5 जुलाई को यह मोर्चा काफ़ी हद तक फ़तह हो गया। इस बीच 18 ग्रेनेडियर्स ने अपने हमले जारी रखे और भारी प्रतिरोध के बावजूद टाइगर हिल को पूरी तरह हथियाने का काम चलता रहा। 8 सिख बटालियन पाकिस्तानी फौजों के जवाबी हमले नाकामयाब करती रहीं और इस तरह 11 जुलाई को टाइगर हिल पूरी तरह भारत के कब्जे में आ गया।

अदम्य साहस का परिचय

3-4 जुलाई, 1999 से शुरू होकर 11 जुलाई, 1999 तक चलने वाला विजय अभियान इतना सरल नहीं था और उसकी सफलता में ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) का बड़ा योगदान है। ग्रेनेडियर यादव की कमांडो प्लाटून ‘घटक’ कहलाती थी। उसके पास टाइगर हिल पर कब्जा करने के क्रम में लक्ष्य यह था कि वह ऊपरी चोटी पर बने दुश्मन के तीन बंकर काबू करके अपने कब्जे में ले। इस काम को अंजाम देने के लिए 16,500 फीट ऊँची बर्फ से ढकी, सीधी चढ़ाई वाली चोटी पार करना ज़रूरी था।

इस बहादुरी और जोखिम भरे काम को करने का जिम्मा स्वेच्छापूर्णक योगेन्द्र ने लिया और अपना रस्सा उठाकर अभियान पर चल पड़े। वह आधी ऊँचाई पर ही पहुँचे थे कि दुश्मन के बंकर से मशीनगन गोलियाँ उगलने लगीं और उनके दागे गए राकेट से भारत की इस टुकड़ी का प्लाटून कमांडर तथा उनके दो साथी मारे गए। स्थिति की गम्भीरता को समझकर योगेन्द्र सिंह ने जिम्मा संभाला और आगे बढ़ते बढ़ते चले गए। दुश्मन की गोलाबारी जारी थी।

योगेन्द्र सिंह लगातार ऊपर की ओर बढ़ रहे थे कि तभी एक गोली उनके कँधे पर और रो गोलियाँ उनकी जाँघ पेट के पास लगीं लेकिन वह रुके नहीं और बढ़ते ही रहे। उनके सामने अभी खड़ी ऊँचाई के साठ फीट और बचे थे। उन्होंने हिम्मत करके वह चढ़ाई पूरी कीऔर दुश्मन के बंकर की ओर रेंगकर गए और एक ग्रेनेड फेंक कर उनके चार सैनिकों को वहीं ढेर कर दिया। अपने घावों की परवाह किए बिना यादव ने दूसरे बंकर की ओर रुख किया और उधर भी ग्रेनेड फेंक दिया।

उस निशाने पर भी पाकिस्तान के तीन जवान आए और उनका काम तमाम हो गया। तभी उनके पीछे आ रही टुकड़ी उनसे आ कर मिल गई। आमने-सामने की मुठभेड़ शुरू हो चुकी थी और उस मुठभेड़ में बचे-खुचे जवान भी टाइगर हिल की भेंट चढ़ गए। टाइगर हिल फ़तह हो गया था और उसमें ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह का बड़ा योगदान था। अपनी वीरता के लिए ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह ने परमवीर चक्र का सम्मान पाया और वह अपने प्राण देश के भविष्य के लिए भी बचा कर रखने में सफल हुए यह उनका ही नहीं देश का भी सौभाग्य है।

टाइगर हिल का टाइगर

भारत और पाकिस्तान की नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान समर्थित घुसपैठियों 1999 के प्रारम्भ में कारगिल क्षेत्र की 16 से 18 हजार फुट ऊंची पहाड़ियों पर कब्जा जमा लिया था। मई 1999 के पहले सप्ताह में इन घुसपैठियों ने श्रीनगर को लेह से जोड़ने वाले महत्वपूर्ण राजमार्ग पर गोलीबारी आरंभ कर दी। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए भारत ने इन घुसपैठियों के विरुद्ध ‘आपरेशन विजय’ के तहत कार्रवाई आरंभ की।

इसके बाद संघर्षों का सिलसिला आरंभ हो गया। हड्‌डी गला देने वाली ठंड में भी भारतीय सेना के रणबांकुरों ने दुश्मनों का डट कर मुकाबला किया। 2 जुलाई को कमांडिंग आफिसर कर्नल कुशल ठाकुर के नेतृत्व में 18 ग्रेनेडियर को टाइगर हिल पर कब्जा करने का आदेश मिला। इसके लिए पूरी बटालियन को तीन कंपनियों- ‘अल्फा’, ‘डेल्टा’ व ‘घातक’ कम्पनी में बांटा गया। ‘घातक’ कम्पनी में ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) सहित 7 कमांडो शामिल थे। 4 जुलाई की रात में पूर्व निर्धारित योजनानुसार कुल 25 सैनिकों का एक दल टाइगर हिल की ओर बढ़ा। चढ़ाई सीधी थी और कार्य काफ़ी मुश्किल।

टाइगर हिल में घुसपैठियों की तीन चौकियां बनीं हुई थीं। एक मुठभेड़ के बाद पहली चौकी पर कब्जा कर लिया गया। इसके बाद केवल 7 कमांडो वाला दल आगे बढ़ा। यह दल अभी कुछ ही दूर आगे बढ़ा था की दुश्मन की ओर से अंधाधुंध गोलीबारी आरंभ हो गयी। इस गोलीबारी में दो सैनिक शहीद हो गए। इन दोनों शहीदों को वापस छोड़कर शेष 05 जाबांज सैनिक आगे बढ़े। किन्तु एक भीषण मुठभेड़ में इन पांचों में चार शहीद हो गए और बचे केवल ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav)।

हालाँकि वह बुरी तरह घायल हो गए थे, उनकी बाएं हाथ की हड्‌डी टूट गई थी और हाथ ने काम करना बन्द कर दिया था। फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। योगेन्द्र सिंह ने हाथ को बेल्ट से बांधकर कोहनी के बल चलना आरंभ किया। इसी हालत में उन्होंने अपनी ए.के.-47 राइफल से 15-20 घुसपैठियों को मार गिराया। इस तरह दूसरी चौकी पर भी भारत का कब्जा हो गया। अब उनका लक्ष्य 17,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित चौकी पर कब्जा करना था।

अत: वह धुआंधार गोलीबारी करते हुए आगे बढ़े, जिससे दुश्मन को लगने लगा कि काफ़ी संख्या में भारतीय सेना यहां पहुंच गई है। कुछ दुश्मन भाग खड़े हुए, तो कुछ चौकी में ही छिप गए, किन्तु ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) ने अपने अद्‌भुत साहस का परिचय देते हुए शेष बचे घुसपैठियों को भी मार गिराया और तीसरी चौकी पर कब्जा जमा लिया। इस संघर्ष में वह और अधिक घायल हो गए पर अपनी जांबाजी से अंतत: योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) टाइगर हिल पर तिरंगा फहराने में सफल रहे।

इसी बीच उन्होंने पाकिस्तानी कमाण्डर की आवाज सुनी, जो अपने सैनिकों को 500 फुट नीचे भारतीय चौकी पर हमला करने के लिए आदेश दे रहा था। इस हमले की जानकारी अपनी चौकी तक पहुंचाने के योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) ने अपनी जान की बाजी लगाकर पत्थरों पर लुढ़कना आरंभ किया और अंतत : जानकारी देने में सफल रहे।

उनकी इस जानकारी से भारतीय सैनिकों को काफ़ी सहायता मिली और दुश्मन दुम दबाकर भाग निकले। योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) के जख्मी होने पर यह भी खबर फैली थी कि वे शहीद हो गए, पर जो देश की रक्षा करता है, उसकी रक्षा स्वयं ईश्वर ने ही की. भारत सरकार ने ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव (Subedar Major Yogendra Singh Yadav) के इस अदम्य साहस, वीरता और पराक्रम के मद्देनजर परमवीर चक्र से सम्मानित किया। सबसे कम मात्र 19 वर्ष कि आयु में ‘परमवीर चक्र’ प्राप्त करने वाले इस वीर योद्धा ने उम्र के इतने कम पड़ाव में जांबाजी का ऐसा इतिहास रच दिया कि आने वाली सदियाँ भी याद रखेंगीं।

Images

Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav
Subedar Major Yogendra Singh Yadav

Videos

NA

इसेभी देखे – पुरस्कार के बारे में (Gallantry Awards)परम वीर चक्र (PARAM VIR CHAKRA)महावीर चक्र (MAHAVIR CHAKRA)वीर चक्र (VIR CHAKRA)अशोक चक्र (ASHOKA CHAKRA)कीर्ति चक्र (KIRTI CHAKRA)शौर्य चक्र (SHAURYA CHAKRA), ओर – ALAKHDHANIALL AARTI,

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ