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Ram Prasad Bismil – राम प्रसाद बिस्मिल एक भारतीय क्रन्तिकारी थे जिन्होंने 1918 मणिपुर षड्यंत्र में और 1925 के काकोरी षड्यंत्र में भाग लिया था और ब्रिटिश राज के विरुद्ध उठ खडे हुए थे।
एक स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ ही वे हिंदी और उर्दू के कवी भी थे जो अपने उपनाम राम, अज्ञात और बिस्मिल नाम से कविताये लिखते थे। लेकिन अपने अंतिम नाम “बिस्मिल” ने ही उन्हें काफी प्रसिद्धि दिलवायी।
“सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है।
देखना है जोर कितना बाजु-कातिल में है?”
राम प्रसाद बिस्मिल जीवनी | Ram Prasad Bismil in Hindi
राम प्रसाद बिस्मिल आर्य समाज से भी जुड़े हुए थे। जहाँ स्वामी दयानंद सरस्वती द्वारा लिखित किताब सत्यार्थ प्रकाश से उन्हें काफी प्रेरणा मिली।
आर्य समाज के उद्धारक और उनके गुरु स्वामी सोमदेव की सहायता से वे लाला हरदयाल से भी मिले।
बिस्मिल हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन जैसी क्रांतिकारी संस्था के संस्थापक सदस्य थे। हिंदी और उर्दू में लिखित उनकी कविताओ की भगत सिंह काफी तारीफ करते थे।
इसके साथ ही उन्होंने इंग्लिश किताब कैथरीन और बंगाली किताब बोल्शेविकों की करतूत का हिंदी रूपांतर भी किया था।
राम प्रसाद बिस्मिल का जन्म 11 जून 1897 को ब्रिटिश कालीन भारत के शाहजहाँपुर में हुआ था। घर पर ही उन्होंने अपने पिता से हिंदी सीखी और उर्दू सिखने के लिये वे अमौलवि जाते थे।
बाद में उन्होंने इंग्लिश-भाषा की स्कूल में एडमिशन लिया लेकिन उनके पिता उनके इस जीर्णय से खुश नही थे और बाद में बिस्मिल शाहजहाँपुर के आर्य समाज में शामिल हो गये। आर्य समाज में बिस्मिल ने कविताये लिखने के अपने ज्ञान को और विकसित किया।
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