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पूरा नाम – सॅम होरमरुजी फ्रामजी जेमशदजी
जन्म – 3 अप्रैल 1914.
जन्मस्थान – अमृतसर, पंजाब.
पिता – होरमरुजी माणेकशा
माता – हिराबाई माणेकशा
Field Marshal Sam Manekshaw – सॅम माणेकशा जीवनी
इ.स. 1971 में पाकिस्तान के साथ हुये जंग में भारत के विजय होने का सबसे बड़ा श्रेय भारतीय फौजी का नेतृत्त्व करने वाले सरसेनापती सॅम माणेकशा (Field Marshal Sam Manekshaw) इनको ही जाता है. जनरल सॅम मानेकशा के रूप में सेना के लिये युध्द्कुशल और अनुभवी सेनापति का आदर्श भी सामने आया |
जनलर माणेकशा (Field Marshal Sam Manekshaw) का पूरा नाम सॅम होरमरुजी फ्रामजी जमशेदजी है. उनका जन्म 3 अप्रैल 1914 को पंजाब के अमृतसर में हुआ. डेहराडून के ‘इंडियन मिलिटरी अॅकडमी’ में सेना की ट्रेनिंग लेकर वो 1934 के बाद सेना में भर्ती हुये. ‘व्दितीय रॉयल स्कॉट्स’,‘फ्रंटियर फोर्सरेजिमेंट’ ऐसे टीम में से उनकी नियुक्ती गोरखा रेजिमेंट में हुई. दुसरे महायुद्ध में उन्हें लढने का मौका मिला उसमे उनका नेत्रुत्वगुण भी विकसित होता गया. उसके बाद क्वेटा यहा के स्टाफ कॉलेज से उपाधि लेने के बाद उन्होंने जल्द ही अधिकारी का स्थान प्राप्त किया.
1965 के पाकिस्थान के खिलाफ जंग में पूर्व हिस्सो को सीमा पर जंग के अनेक योजना की रचना माणेकशा (Field Marshal Sam Manekshaw) ने इन्होंने की. पश्चिम सीमा पर भारत पीछे हट रह है ये देख कर पूर्व की तरफ स्वतंत्र लीड के लिये खेल खेले गये और उसमे भारत को सफलता मिली |
1971 के जंग के समय लष्कर प्रमुख जनरल मानेकशा इनका पुराना अनुभव सफल रहा. पूर्व पाकिस्तान में उन्होंने इस तरह व्युहरचना की की ये जंग पुरे पंधरा दिन में खतम किया. पूर्व की तरफ विजय मिलने के बाद उन्होंने पश्चिम लीड पर भी पाक को भारतीय प्रदेश में आने नहीं दिया. इसके अलावा उल्टा भारतीय सेना ही पाक प्रदेश तक लेके गये. इस जंग में भारत को निर्णायक विजय प्राप्त हुवा. पाकिस्तान अलग हुआ और बांग्लादेश की निर्मिती हुई |
इस विजय से जनरल माणेकशा बहोत लोकप्रिय हुये. उनके प्रदर्शन के सम्मान के रूप में उस समय भारत सरकार ने उन्हें आजीव ‘फिल्ड मार्शल’ ये लष्करी सेवा का सर्वोच्च बहुमान देकर गौरव किया ।
इसेभी देखे – लेफ़्टिनेंट कर्नल अर्देशिर बर्जारी तारापोरे (Lieutenant Colonel Ardeshir Burzorji Tarapore), वीर अब्दुल हमीद (Vir Abdul Hamid), मेजर शैतान सिंह (Major Shaitan Singh), Other Links – विज्ञान भैरव तंत्र (Vigyan Bhairav Tantra)