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तिरुपुर कुमार (Tiruppur Kumaran)

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Tiruppur Kumaran
Tiruppur Kumaran

जन्म – 4 अक्टूबर 1904, चेनिमलाई, ईरोड, मद्रास प्रेसिडेंसी, ब्रिटिश इंडिया

मृत्यु – 11 जनवरी 1932 (उम्र 27), तिरुपुर, मद्रास प्रेसिडेंसी, India

मृत्यु का कारण – स्त्याग्रह के दौरान पुलिस की क्रूरता

राष्ट्रीयता – भारतीय

प्रसिद्धि – स्वतंत्रता सेनानी

जीवन परिचय और आजादी की लड़त

भारत को अंग्रेजों से स्वतंत्र कराने की जंग में कइयों ने अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। किसी का लहू बहा तो कोई सालों तक जेल में बंद रहा। अंग्रेजों की यातनाएं सही, लेकिन देश के वे वीर जांबाज पीछे नहीं हटे और अपनी अंतिम सांस तक देश की आजादी के लिए लड़ते रहे।

इन्ही जांबाजों में से एक नाम है तिरुपुर कुमारन (Tiruppur Kumaran), एक ऐसा नाम जो अंग्रेजी हुकूमत की लाठी के आगे नहीं टूटा और सीना फख्र से चौड़ा कर अपने देश को स्वंतंत्र कराने की लड़ाई में कूद पड़ा।

कुमारन ने स्वतंत्रता आंदोलन में भाग ले अपना संपूर्ण जीवन भारत को आजाद कराने में लगा दिया, इसके बावजूद भारत के इस महान स्वतंत्रता सेनानी का नाम इतिहास के पन्नों में कहीं गुम हो गया।

कुमारन ने यह जानते हुए कि उस समय ब्रिटिश सरकार के भारत में तिरंगा के फहराने पर पूरी तरह से मनाही है, राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे को लहराने पर जोर दिया था। (लेख – Tiruppur Kumaran)

वह तिरुपुर के रहने वाले थे और तिरुपुर में एक शांतिपूर्ण असहयोग आन्दोलन के दौरान ब्रिटिश पुलिस द्वारा किए गए लाठीचार्ज में वह गंभीर रूप से घायल हो गए। इसी आंदोलन में घायल हुए कुमारन ने अपना दम तोड़ दिया।

अपने वतन की आजादी के लिए इस शख्स ने अंग्रेजों की कई लाठियां खाई, लेकिन अपनी मातृभूमि को आजाद कराने के उद्देश्य पर वह दृढ़ हो डटे रहे। (लेख – Tiruppur Kumaran)

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